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'बचपन मेरा लौटा दो ' BACHPAN MERA LAUTA DO


      
 बचपन मेरा लौटा दो

रूक जाओ थम जाओ ए समय मेरी यही पुकार है,
जी लेने दो फिर से बचपन को मेरी ये अधिकार है ।

दोस्त छिना, स्कूल छिना 
छिना तुमने वो कागज का नाव,
कोई जाए, जाकर पुछे क्या है 
इसके लौटाने के भाव ।
पैसे रहते हुए कुछ खरीद न पाया
ऐसा ये बाजार है,
जी लेने दो फिर से बचपन को मेरी ये अधिकार है ।

क्यों मुझे इतना बड़ा बनाया
कि माँ के गोद में नहीं समा पाता,
क्या किसी ने ऐसा रास्ता नहीं बनाया
जो मुझे बचपन में पहुँचा पाता ।
सिर्फ मैं नहीं मेरे बुढ़े दोस्त भी जूझ रहे 
सभी लाचार हैं,
जी लेने दो फिर से बचपन मेरा ये अधिकार है ।

स्वार्थ भरी इस दुनिया में 
मैं बच्चा ही अच्छा था,
एक तु ही समय था झुठा
और मेरा बचपन सच्चा था ।
तुझे छोड़ और किसी से शिकायत नहीं 
मेरा ये संस्कार है ।
जी लेने दो फिर से बचपन मेरा ये अधिकार है ।

रूक जाओ थम जाओ ए समय मेरी यही पुकार है,
जी लेने दो फिर से बचपन को मेरी ये अधिकार है ।

कोई होता जो मेरे बचपन को
 पिंजरे में डाल देता,
तेरा बचपन चला गया’ 
आज समय न मुझसे कहता ।
मनुष्य होकर भी मजबूर हूँ
मुझ पर धिक्कार है ।
जी लेने दो फिर से बचपन को मेरा ये अधिकार है ।

रूक जाओ थम जाओ ए समय मेरी यही पुकार है,
जी लेने दो फिर से बचपन को मेरी ये अधिकार है ।
                                       --------- रोशन कुमार सिंह

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