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'बचपन मेरा लौटा दो ' BACHPAN MERA LAUTA DO

         बचपन मेरा लौटा दो रूक जाओ थम जाओ ए समय मेरी यही पुकार है , जी लेने दो फिर से बचपन को मेरी ये अधिकार है । दोस्त छिना , स्कूल छिना  छिना तुमने वो कागज का नाव , कोई जाए , जाकर पुछे क्या है  इसके लौटाने के भाव । पैसे रहते हुए कुछ खरीद न पाया ऐसा ये बाजार है , जी लेने दो फिर से बचपन को मेरी ये अधिकार है । क्यों मुझे इतना बड़ा बनाया कि माँ के गोद में नहीं समा पाता , क्या किसी ने ऐसा रास्ता नहीं बनाया जो मुझे बचपन में पहुँचा पाता । सिर्फ मैं नहीं मेरे बुढ़े दोस्त भी जूझ रहे  सभी लाचार हैं , जी लेने दो फिर से बचपन मेरा ये अधिकार है । स्वार्थ भरी इस दुनिया में  मैं बच्चा ही अच्छा था , एक तु ही समय था झुठा ,  और मेरा बचपन सच्चा था । तुझे छोड़ और किसी से शिकायत नहीं  मेरा ये संस्कार है । जी लेने दो फिर से बचपन मेरा ये अधिकार है । रूक जाओ थम जाओ ए समय मेरी यही पुकार है , जी लेने दो फिर से बचपन को मेरी ये अधिकार है । कोई होता जो मेरे बचपन को  पिंजरे में डाल देता , ‘ तेरा ...

'हमारा देश और देवदास' HAMARA DESH AUR DEVDAS



हमारा देश और देवदास



देश में चारों तरफ भरे पड़े हैं सिर्फ देवदास

पता नहीं चलता कौन है मालिक कौन है दास

बस यही एक रोना है जमाने के पास

कोई सच्चा देशभक्त हो, देश की है तलाश

देश पर मिटना शायद किसी को नहीं है रास

गाँधी नहीं गाँधीवादी तो होते कोई एक काश

यही उम्मीद पे लगाए बैठा हूँ मैं अपनी आस

हिंसा से तपती धरती की कब बुझेगी प्यास

सिने पकड़कर लेते हैं आज वो साँस

डरते हैं कहीं लेना न भूल जाँए वो साँस

मानव को आज अपने पर नहीं है विश्वास

आज तुम्हारी जिंदगी बन कर रह गई है प्लास

नहीं उठाओगे उसका बोझ, कल कौन उठाएगा तुम्हारी लाश

तुम और सिर्फ तुम हो इस देश के एक खास

वरना तुम्हीं और तुम्हीं से हागी इसकी नाश ।
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                  -------- रोशन कुमार सिंह

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