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'बचपन मेरा लौटा दो ' BACHPAN MERA LAUTA DO

         बचपन मेरा लौटा दो रूक जाओ थम जाओ ए समय मेरी यही पुकार है , जी लेने दो फिर से बचपन को मेरी ये अधिकार है । दोस्त छिना , स्कूल छिना  छिना तुमने वो कागज का नाव , कोई जाए , जाकर पुछे क्या है  इसके लौटाने के भाव । पैसे रहते हुए कुछ खरीद न पाया ऐसा ये बाजार है , जी लेने दो फिर से बचपन को मेरी ये अधिकार है । क्यों मुझे इतना बड़ा बनाया कि माँ के गोद में नहीं समा पाता , क्या किसी ने ऐसा रास्ता नहीं बनाया जो मुझे बचपन में पहुँचा पाता । सिर्फ मैं नहीं मेरे बुढ़े दोस्त भी जूझ रहे  सभी लाचार हैं , जी लेने दो फिर से बचपन मेरा ये अधिकार है । स्वार्थ भरी इस दुनिया में  मैं बच्चा ही अच्छा था , एक तु ही समय था झुठा ,  और मेरा बचपन सच्चा था । तुझे छोड़ और किसी से शिकायत नहीं  मेरा ये संस्कार है । जी लेने दो फिर से बचपन मेरा ये अधिकार है । रूक जाओ थम जाओ ए समय मेरी यही पुकार है , जी लेने दो फिर से बचपन को मेरी ये अधिकार है । कोई होता जो मेरे बचपन को  पिंजरे में डाल देता , ‘ तेरा ...

'मित्रों की कमियाँ' MITRO KI KAMIYAN




'मित्रों की कमियाँ'

ना जाने ऐसी बात क्यों हुई, 
जो भी हुई मेरे साथ क्यों हुई। 

दोस्त भी दुश्मन के साथ हो गए,
पहले क्या था अब क्या हो गए 
सभी एक दूसरे के प्यारे हो गए,
एक हम ही है जो बेसहारे हो गए 

ना जाने ऐसी बात क्यों हुई, 
जो भी हुई मेरे साथ क्यों हुई। 

मेरा कसूर क्या था क्यों नहीं बताया,
तुमलोग तो अपने थे फिर क्यों नहीं समझाया
सिर्फ तुम मेरे दोस्त हो यही जताया,
गलती बताने के बजाय बाल सहलाया

ना जाने ऐसी बात क्यों हुई, 
जो भी हुई मेरे साथ क्यों हुई। 

मेरे गलतियों पर कबतक पर्दा डालोगे,
एक दिन तुम मुझे जरुर बताओगे
नहीं तो सबके रहते मुझे अकेले पाओगे,
'मैं बुरा हूँ' तुम मझसे कहोगे हाँ कहोगे

ना जाने ऐसी बात क्यों हुई, 
जो भी हुई मेरे साथ क्यों हुई।
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                  ------ रोशन कुमार सिंह 


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