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'बचपन मेरा लौटा दो ' BACHPAN MERA LAUTA DO

         बचपन मेरा लौटा दो रूक जाओ थम जाओ ए समय मेरी यही पुकार है , जी लेने दो फिर से बचपन को मेरी ये अधिकार है । दोस्त छिना , स्कूल छिना  छिना तुमने वो कागज का नाव , कोई जाए , जाकर पुछे क्या है  इसके लौटाने के भाव । पैसे रहते हुए कुछ खरीद न पाया ऐसा ये बाजार है , जी लेने दो फिर से बचपन को मेरी ये अधिकार है । क्यों मुझे इतना बड़ा बनाया कि माँ के गोद में नहीं समा पाता , क्या किसी ने ऐसा रास्ता नहीं बनाया जो मुझे बचपन में पहुँचा पाता । सिर्फ मैं नहीं मेरे बुढ़े दोस्त भी जूझ रहे  सभी लाचार हैं , जी लेने दो फिर से बचपन मेरा ये अधिकार है । स्वार्थ भरी इस दुनिया में  मैं बच्चा ही अच्छा था , एक तु ही समय था झुठा ,  और मेरा बचपन सच्चा था । तुझे छोड़ और किसी से शिकायत नहीं  मेरा ये संस्कार है । जी लेने दो फिर से बचपन मेरा ये अधिकार है । रूक जाओ थम जाओ ए समय मेरी यही पुकार है , जी लेने दो फिर से बचपन को मेरी ये अधिकार है । कोई होता जो मेरे बचपन को  पिंजरे में डाल देता , ‘ तेरा ...

'पहली मुलाकात जुदाई के बाद' PEHLI MULAKAT JUDAAI KE BAAD






पहली मुलाकात जुदाई के बाद



आज जब उनसे हमारी नजरें मिली,


और कुछ नहीं तो उन्हें हमारी तन्हाई मिली।


जहाँ उनको हमने खोया था इंतजार वहीं है,

लेकिन अब उनके दिल में हमारे लिए प्यार नहीं है।

हमने तो उन्हें खोने का कभी सपना ही नहीं देखा था,

हमने सिर्फ उनका ही औकात देखा अपना ही नहीं देखा था।

तो क्या हुआ हमें नहीं, उन्हें तो खुशी मिली



वो दुनिया से डर गई या डर गई हमसे

उनकी होंठों के सुर्खियों को हमने आजतक नहीं भुलाया है

जबकि उसने उनकी याद दिलाकर हमें बहुत रूलाया है

तो क्या हुआ वो नही उनकी यादें तो मिली

आज जब उनसे हमारी नजरें मिली

और कुछ नहीं तो उन्हें हमें तन्हाई मिली



ऐसा कौन शख्स है जो हमें आपके दिल से निकाल दिया

उस शख्स से रूबरू तो हो जिसने आपको ऐसा ख्याल दिया

ऐसी क्या बात है जो आप उसके करीब हो गए

एक आप इस खेल में अमीर, एक हम गरीब हो गए



आज जब उनसे हमारी नजरें मिली,

और कुछ नहीं तो उन्हें हमारी तन्हाई मिली।

                         
                                          ----- रोशन कुमार सिंह

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